
जवेकिस्तान के समरकंद में आज 15 एवम 16 सितंबर 2022 को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) के 22वें शिखर सम्मेलन में आज पूरी दुनिया को नजर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात पर रहेंगी। दोनों देशों की तरफ से इस प्रकार के संकेत मिल रहे है कि नरेंद्र मोदी और पुतिन की इस मुलाकात का एक बड़ा एजेंडा भी है जो द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करेगा। रूसी अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) शिखर सम्मेलन से अलग दोनो नेता वन टू वन मुलाकात करेंगे। रूस- यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति के बीच फोन बातचीत हुई है लेकिन पहली बार दोनों आमने-सामने बैठकर बातचीत करेंगे। दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर अमेरिका की भी नजर रहेगी। इस दौरान भारत रूस में कई रणनीतिक मुद्दों, एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, संयुक्त राष्ट्र और जी-20 देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। दोनों नेताओं की यह मुलाकात उज़्बेकिस्तान के समरकंद में 15- 16 सितंबर 2022 तक होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) राष्ट्राध्यक्षों के 22वें सम्मेलन के इतर होगी। रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास ने राष्ट्रपति के सहायक अधिकारी यूरी उशाकोव के हवाले से बताया, इस मुलाकात में वैश्विक एजेंडे पर भी मोदी के साथ बातचीत होगी। यूक्रेन युद्ध के बाद भी दोनो देशों का रिश्ता मजबूत ही रहा। स्मरण रहे वर्तमान समय में भारत की तटस्थ नीति ही विदेश नीति की भी ताकत है। चीन हो या पाकिस्तान इन दोनों देशों को भी भारत ने समझा दिया कि दो चीजें एक साथ नहीं चल सकती। पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर यही बात और चीन को गलवां के बाद सीमा विवाद के मुद्दे पर यह समझा भी दिया गया। भारत की इस नीति का पूरी दुनिया ने अब लोहा भी मान लिया है।अब शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) के मंच पर भी भारत की धाक देखने को मिलेगी। वहां लाल कार्पेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्वागत होगा।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वन टू वन भेंट अभी होना साफ नहीं है लेकिन संभावना है कि उनकी भेंट भी भारत चीन सीमा पर पीपी 15 से दोनो देशों की सेना वापसी के बाद अब हो भी सकती है। यदि दोनों नेताओं की वन टू वन मुलाकात होती भी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहीं अधिक सतर्क एवम आत्म विश्वास से भरकर ही बात कर सकेगे। दोनो नेताओं की बॉडी लैंग्वेज भी सब कुछ व्यान करेगी। भारत चीन में दोनों देशों के बीच गलवा की घटना के बाद संबंध काफी खराब हो गए थे। यह भी पता चला की कोविड काल के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले दो साल में पहली बार देश से बाहर कजाकिस्तान और फिर उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इससे पूर्व चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने 17 – 18 जनवरी 2020 को म्यांमार का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद कोरोना के चलते हालात बदल गए। उस वक्त से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन से बाहर कहीं गए ही नहीं थे। शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) की बैठक से पहले ही भारत और चीन की सेनाओं ने गोगरा- हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वन टू वन मुलाकात होती है तो इस पर सिर्फ इन दो देशों की ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की भी नजर होगी।
स्मरण रहे भारत दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होगा और 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) का नेतृत्व करने के अलावा जी-20 समूह का भी अध्यक्ष होगा।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समरकंद में विभिन्न देशों के कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोजेव के साथ उनकी अलग से बैठक होनी है। इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत होगी। उज्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने बताया कि शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) देशों के बीच आर्थिक सहयोग महत्वपूर्ण है। शंघाई सहयोग संगठन (एस सी ओ) 15 जून, 2001 को स्थापित एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा समूह है। इसका मुख्यालय बीजिंग में है। इसके सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान के साथ-साथ 4 मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय समूह है।
निर्भय सक्सेना