
बरेली में रंगमंच एवम नाटकों के मंचन की परंपरा देश की आजादी से पूर्व से ही चली आ रही है। कभी यहां अल्फ्रेड कंपनी एवम पृथ्वी थिएटर भी नाटक खेलने आया करते थे। श्री जे एन सक्सेना एवम हिन्द सिनेमा के मालिक रहे नरेन्द्र नाथ कपूर बताते हैं कि 1954 में गर्मियों में पृथ्वी राज कपूर, राज कपूर, शशि कपूर, नरगिस ने भी हिन्द सिनेमा में पठान नामक नाटक में रंगमंच पर अपनी भूमिका प्रस्तुत की। पृथ्वी राज कपूर के हिन्द सिनेमा में दीवार, दहेज आदि नाटक भी हुए जिसका टिकट 7 से 10 रुपये था। पूरी टीम हिन्द सिनेमा परिसर में रुकी थी। शशि कपूर को द्वारका प्रसाद की कोठी पर रुकवाया था।

जे एन सक्सेना के अनुसार कलकत्ता के रवीन्द्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन में उनके पिता चन्द्र नारायण सक्सेना ने पृथ्वी राज कपूर के साथ नाटक की ट्रेनिंग भी ली थी। चंद्र नारायण ने गुरुधाम, नरसी का भात सहित 40 नाटक लिखे और उनके मंचन में अभिनय भी किया। उनके गुरुधाम नाटक में चित्रकार रहे सुरेन्द्र कुमार नेताजी ने दयानंद का रोल किया था। राधेश्याम कथावाचक हो या चंद्र नारायण सक्सेना उर्फ भ्राता जी जो नाटक लिखते भी थे और अभिनय भी करते थे।अनाथालय परिसर में स्टेज एवम नाट्यशाला भी बनबाई थी। जहां नाटक का वर्षो तक मंचन भी हुआ। उनके साथ रेलवे के वीरेन्द्र मुनमुन भी राधा का अभिनय करते थे।

जे सी पालीवाल ने कल्चरल एसोसिएशन बनाकर 216 नाटकों का निर्देशन किया लगभग 160 नाटक में अभिनय भी किया। जिला समारोह समिति के माध्यम से देशप्रेम वाले नाटक का 26 जनवरी 15 अगस्त को कई दशक तक मंचन भी कराया। बरेली में इंटर नेशनल थिएटर फेस्ट भी कराया। जिसमे लगभग 15 से अधिक देशों के रंगमंच कर्मी बरेली की धरती पर कई वर्ष तक आए और अपने अभिनय की छाप छोड़ी। हकोविड में गतिविधियों अवश्य कम हुई। जे सी पालीवाल की बरेली में नाटक जगत में अलग पहचान है। पीला डी ए वी कॉलेज एवम हिन्द सिनेमा में नाटक का मंचन होता था बाद में संजय कम्युनिटी हाल एवम आई एम ए भवन में भी कुछ नाटक का मंचन हुआ। डॉ ब्रजेश्वर सिंह ने बरेली के सिविल लाइन्स में नाटक मंचन के लिए एक रंगशाला बनवाकर फिल्मी कलाकारों को बुलाकर उनके नाटक भी कई वर्षों से कर रहे हैं। श्री राममूर्ति स्मारक ट्रस्ट के देव मूर्ति एवम डॉ आदित्य मूर्ति ने भी बरेली में माडल टाउन में रिद्धिमा नाम से रंग शाला बनवाकर अब तक कई नाटकों का मंचन कराया। राजेन्द्र प्रसाद घिल्डियाल सतीश धवन जी बरेली के एक अच्छे रंगकर्मी रहे हैं
निर्भय सक्सेना (वरिष्ठ पत्रकार)